
Punjab environmental protection
15 नवंबर 2025 (क्राइम आवाज़ इंडिया )
Punjab environmental protection(crime awaz india): पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि पंजाब विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था चुनावी आकांक्षाओं की वेदी पर बलिदान नहीं की जा सकती। चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लंबे समय से लंबित सीनेट चुनाव कार्यक्रम की घोषणा को लेकर दायर याचिका का निपटारा करते हुए उम्मीद जताई कि चुनाव यथाशीघ्र कराए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान पीठ ने छात्रों को याद दिलाया कि उनका प्राथमिक उद्देश्य निर्बाध शिक्षा प्राप्त करना है। अदालत ने कहा, छात्र अपने माता-पिता के प्रयासों से विश्वविद्यालय में पढ़ने आते हैं।Punjab environmental protection इसलिए ज्ञान अर्जित करना ही उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय का मूल उद्देश्य चुनाव नहीं बल्कि शिक्षा है, और शैक्षणिक गतिविधियों को चुनावी आकांक्षा के कारण बाधित नहीं किया जा सकता।
एक बार तो कोर्ट ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को सख्त लहजे में निर्देश दिया कि वे पहले अपनी कक्षाओं में लौटें।चीफ जस्टिस ने कहा अपनी कक्षाओं में जाएं कम से कम सात दिन नियमित रूप से पढ़ाई करें फिर हम इस मामले की सुनवाई करेंगे। कोर्ट को बताया गया था कि छात्र आंदोलन के चलते कैंपस में पढ़ाई बाधित हो रही है।

कोर्ट में बताया गया कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक निकाय को राजनीतिक अखाड़ा बना दिया गया है, तो चीफ जस्टिस ने पूछा हम एक शैक्षणिक संस्था की बात कर रहे हैं या राजनीतिक संस्था की कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य शिक्षा देना है और यह मकसद धीरे-धीरे पीछे छूटता दिखाई दे रहा है।
पीठ ने मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वह पांच वर्षों तक विश्वविद्यालय चुनाव नहीं हुए फिर भी शैक्षणिक गतिविधियां शांतिपूर्वक चलती रहीं और शिक्षक व विद्यार्थी संतुष्ट है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन बार-बार सीनेट चुनाव टाल रहा है, जबकि पहले भी वाइस-चांसलर की कार्यशैली पर अदालत ने टिप्पणी की थी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई एक पक्ष ने छात्र संगठन पर धरने देने का आरोप लगाया, जबकि दूसरे ने याचिका को राजनीति प्रेरित बताया।
Punjab environmental protection: पिछले कई दिनों से सीनेट चुनाव कार्यक्रम की तत्काल घोषणा की मांग को लेकर पीयू कैंपस में जारी आंदोलन के बीच इस सप्ताह एक नई अर्जी दायर की गई थी। इसमें विश्वविद्यालय और अन्य संबंधित अधिकारियों को विभिन्न सीनेट क्षेत्रों के चुनाव कार्यक्रम घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। आवेदकों का आरोप था Punjab environmental protection कि चुनाव प्रक्रिया से बचने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रभावित किया जा रहा है, जिससे संस्थान की लोकतांत्रिक परंपरा को नुकसान पहुंच रहा है।अर्जी में यह भी बताया गया कि नई सीनेट का कार्यकाल 1 नवंबर 2024 से शुरू होना था लेकिन अब तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया। याची हरप्रीत सिंह दुआ चुनाव देरी को सुनियोजित कदाचार बताते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए विश्वविद्यालय चांसलर की तरफ से पेश वकील सतपाल जैन को कहा कि वह चांसलर से आग्रह करे की चुनाव कार्यक्रम को जल्द मंजूरी दे।
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