प्रयागराज में यमुना तट पर एक नया पब्लिक प्लाजा पार्क तैयार होगा, जो भारतीय और जापानी संस्कृति का अनोखा मिश्रण पेश करेगा

Manu Thakur
5 Min Read

Prayagraj Japan cultural park 2025

13 Nov 2025 (क्राइम आवाज़ इंडिया ब्यरो )

Prayagraj Japan cultural park 2025(crime awaz india):महाकुंभ 2025 के बाद, प्रयागराज अब भारत की सनातन परंपरा और जापान की शिन्तो संस्कृति के संगम का गवाह बनेगा। यमुना के किनारे अरैल क्षेत्र में एक सार्वजनिक प्लाजा पार्क का निर्माण किया जा रहा है, जो दोनों संस्कृतियों के साझा स्थापत्य और मूल्यों को प्रदर्शित करेगा। यह पार्क प्रकृति प्रेम आत्मसंयम और शांति जैसे समान सिद्धांतों को उजागर करेगा और इसमें टोरी गेट, जापानी गार्डन और जेन पार्क जैसी खास विशेषताएँ शामिल होंगी। यह पहल “वसुधैव कुटुम्बकम्” और जापान के “वा” दर्शन के माध्यम से वैश्विक भाईचारे का संदेश भी फैलाएगी।

प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज की पहचान धार्मिक ,साहित्यिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में जानी जीती है। योगी सरकार द्वारा महाकुंभ 2025 के भव्य और दिव्य आयोजन ने इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को दुनिया भर में पहुंचाया। इस भव्य आयोजन के बाद अब कुम्भ नगरी में जापानी और सनातन संस्कृति का मेल भी होगा।

संगम नगरी अब भारत की सनातन और जापान की शिन्तो संस्कृति के संगम का प्रमाण बनेगी

हजारों किलोमीटर की दूरी और भाषा का अंतर होने के बावजूद भारत की सनातन संस्कृति और जापान की पारंपरिक शिन्तो संस्कृति में अद्भुत समानताएँ दिखाई देती हैं। दोनों ही सभ्यताएँ प्रकृति को देवतुल्य मानती हैं आत्मसंयम को सर्वोच्च मूल्य और शांति को जीवन का आधार मानती हैं। इन दोनों संस्कृतियों की मेल की झलक की साक्षी बनने जा रही है कुम्भ नगरी प्रयागराज। यहां जापानी स्थापत्य और सांस्कृतिक प्रतीकों से प्रेरित पब्लिक प्लाजा पार्क निर्माण किया जा रहा है। नगर विकास की तरफ से इसका निर्माण किया जा रहा है जिसकी कार्यदायी संस्था सीएनडीएस है। सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार राणा बताते हैं कि प्रयागराज में यमुना किनारे अरैल क्षेत्र में शिवालय पार्क के नजदीक 3 हेक्टेयर में इसका निर्माण किया जायेगा। नगर निगम प्रयागराज को इसका आकलन भेजा गया है। इसमें भारतीय और जापानी संस्कृति के साझा स्थापत्य के प्रतीकों का इस्तेमाल किया जायेगा।

कला और सुंदरता में आध्यात्मिक अनुभव का मेल

प्रयागराज महाकुंभ के समय धार्मिक और आध्यात्मिक पार्कों का हब बनकर सामने आया। अरैल क्षेत्र में पहले शिवालय पार्क और अब साहित्य पार्क के निर्माण के क्रम में एक नई उपलब्धि जुड़ने जा रही है। यमुना नदी के किनारे पब्लिक प्लाजा पार्क का निर्माण हो रहा है। कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार राणा का कहना है कि पार्क में 5 जोन बनाए जाएंगे। पार्क के चप्पे-चप्पे में जापान की शिंटो संस्कृति और भारतीय सनातन संस्कृति के साझा मूल्यों की झलक मिलेगी। पार्क में प्रवेश द्वार के स्थान पर टोरी गेट का निर्माण किया जाएगा जो शिंटो संस्कृति का प्रतीक है।

पार्क में जापानी गार्डन का बनेगा जिसमें मियावाकी वन भी विकसित किया जाएगा। पार्क में योग और भारतीय मंदिर वास्तुकला, नृत्य और संगीत की तरह जापान की टी सेरेमनी, इकेबाना और जेन गार्डन में भी आध्यात्मिक भाव झलकता है। इस पार्क के अंदर भी जेन पार्क का निर्माण किया जायेगा। दोनों देशों की कला केवल सजावट नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और साधना का माध्यम है। समरसता, शांति और विश्व बंधुत्व भारत के “वसुधैव कुटुम्बकम्” और जापान के “वा” दर्शन में एक ही संदेश निहित है जिसकी झलक भी यहां स्थापित होने वाले प्रतीकों में दिखेगी।

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