
Himachal Public Examination Act 2025
Himachal Public Examination Act 2025 (crime awaz india): 29 नवंबर 2025 हिमाचल में पेपर लीक करना अब गैर जमानती अपराध बन गया है। हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राज्य सरकार द्वारा विधानसभा से पारित हिमाचल प्रदेश लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण अधिनियम 2025 को मंजूरी दे दी है। हिमाचल प्रदेश पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट एक तरह से नया कानून होगा, जो लोक सेवा आयोग और राज्य चयन आयोग हमीरपुर द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं पर लागू होगा। राज्य सरकार ने पेपर लीक और अन्य तरह के संगठित अपराधों को रोकने के लिए यह कड़ा कानून बनाया है। इसमें परीक्षा में धांधली या गड़बड़ी पर पहली बार तीन साल से ज्यादा की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है हिमाचल में परीक्षा में धांधली पर अब कम से कम पांच साल की सजा एक करोड़ तक जुर्माना
गवर्नर से मंजूरी मिलने के बाद इसे कानून के रूप में नोटिफाई कर दिया गया। इसके साथ ही यह हिमाचल में लागू हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जब इसे पिछले विधानसभा सत्र में रखा था तो कहा था कि इसके जरिए पेपर लीक जैसी घटनाओं पर निर्णायक कार्रवाई करना मुख्य लक्ष्य है।

पेपर लीक पर सुक्खू सरकार ने लिया था कड़ा संज्ञान
Himachal Public Examination Act 2025 इसके अलावा ऐसे कदाचार में शामिल व्यक्ति के लिए सजा तीन साल से कम नहीं होगी. यह अधिकतम पांच साल भी हो सकती है. इसके लिए दस लाख जुर्माने का प्रावधान भी होगा. ऐसे कदाचार के लिए जिम्मेदार सर्विस प्रोवाइडर यानी सेवा प्रदाता के मौन रहने पर भी तीन से 10 साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है
ऐसे मामलों की जांच के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी को ही जांच अधिकारी नियुक्त किया जाएगा डीएसपी से नीचे के स्तर का अफसर जांच अधिकारी नियुक्त नहीं होगा वहीं राज्य सरकार के पास किसी भी जांच एजेंसी को मामला सौंपने की शक्तियां होंगी
इस कानून के अनुसार सीबीटी यानी कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट लेने वाली कोई एजेंसी यदि नकल करवाने में शामिल पाई जाती है तो उस पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
Himachal Public Examination Act 2025 यही नहीं, परीक्षा का पूरा खर्च भी उसी से वसूल किया जाएगा उसे चार साल तक किसी भी परीक्षा का संचालन करने से रोका जाएगा. सेवा प्रदाता पर अनुचित साधनों के उपयोग पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और चार साल तक परीक्षा संचालन से रोक का प्रावधान है दोष सिद्ध होने पर सेवा प्रदाता कंपनी के निदेशक या अन्य कर्मियों को तीन से 10 साल की सजा हो सकती है यह सभी अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होंगे
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